Posts

Showing posts from September, 2019
Image
Science and tales of time traveler... बात ऐसे लोगों की...जिनके लिए शायद यही समझा जाता है कि वह भविष्य से भूत में  किसी कारण बस आये...जिनको लेकर लोगों के अलग अलग मत भी रहे...कोई इसे फेक तो  कोई यकीन करता...कोई इसे हैकिंग समझता...पर इस तरह की घटनाओं के पीछे कुछ न  कुछ कारण भी होता है...इससे पहले हमने मिस्टीरियस वर्ल्ड नाम की बुक का एक  चैप्टर जिसमें... एक अनोखे शक्स जॉन टाइटोर के बारे में बताया गया था...जो  अपने आप को 2036 के समय का बताता था...और जो मैसेज के माध्यम से लोगों के बीच  जुड़ा और कुछ घटनाएं भी बताई...जिनमें से 50 प्रतिशत सही और उतनी ही गलत साबित  हुईं...पर अगर आधी बातें सहीं तो यह भी अचम्भे की बात...आखिर भविष्य की घटनाओं  का सटीक अंदेशा कैसे किया जा सकता...आज भी हम ऐसी ही और अचंभित लेकिन सच्ची  घटना... A Man in a plane... ‌ जिसमें 1954 में जापान के एयरपोर्ट पर एक प्लेन में एक व्यक्ति उतरता है...  उसका पासपोर्ट  चेक किया जाता है...लेकिन वहां जो कुछ भी हुआ वह बहुत ही अजीब  था...प्लेन से उतरा हुआ साधारण सा एक  इंसान जो कि बिज़नेस मैन की तरह दिख
                                         कुछ तो कहो आप... अब तो किसी से मन की बात कैसे कहें...मन की बात किसी से कहने में अब डर लगने लगा है...कोई अपना सा था जो शायद अब अपना कहाँ रहा...जिनसे अपनापन लगाया पर वो अपने क्यों नहीं लगते...बहुत कुछ बोलना चाहता हूँ...कुछ कहना चाहता हूँ...पर लोगों के मुँह से अपनो के मेरे लिए कहे गए शब्द दिल से दूर से लगने लगे...अब तो मन भी कहने लगा कि अब दिल की बात कहें तो किससे कहें...अब तो मौन रहने में ही सुकून मिलता है...आज हवाएं दिशाएं सब वहीं हैं...पर मन की बात सुनने वाला दूसरों के बहाव में बह गया...एक अकेलापन सा अब खामोशी के अंधेरों में विलुप्त होने लगा है...पता नहीं अब दिल में करीब रहने वाले क्यों दूर होने लगे...अब तो मन की बात को मन में सजोए हुए     एकला चला की राह पर बढ़ चला हूँ...आखिर मन की बात अब कहूँ तो किससे कहूँ...दिन की धूप में प्रकृति के बीच मन को उलझाने की कोशिश करता हूँ...पर रात के अंधेरे में बीते हुए पन्ने एक एक कर आंखों के सामने खुलने लगते हैं...मन को समझाने की लाख कोशिश करता हूँ...पर मन मानता ही कहाँ है...क्योंकि मन  की बात कहन
Image
जिस तरह से बारिश के पानी में कागज़ की कश्ती भी अपने अंतिम सिरे के डूबने तक तैरने का प्रयास करती है...उसी तरह मेरा  मन भी अंतिम क्षण तक मन की बात करने के लिए  अपने मुहाने पर इंतज़ार में बैठा रहेगा...बीते कुछ दिनों में हम इतने दूर हो चुके हैं...कि ऐसा लगता है कि हम नदी के दो किनारे बन चुके हैं... ना तो हम कभी मिल सकते हैं  सिर्फ लहरों के बीच गोते खाते हुए  कागज़ की किसी कश्ती का इंतज़ार कर सकते हैं...कुछ दिनों पहले मेरे मन ने भी मन की बात बगैर किसी पैमाना तय किये हुए उससे कह दी...और मन की बात कर दी...उसका अपनापन देखकर...मन में उमंग की लहर थी...पर आने वाले समय की करवट बदलने की कहां आहट थी...कि बगैर किसी कारण के हम नदी के दो मुहानों में एक दूसरे के मुँह ताकते शब्दों की मीठी भाषा सुनने का इंतज़ार करते रहेगे...वह भी इसी इंतज़ार में दूसरे मुहाने पर आंखों की पलकों को झपकाए बिना एक शब्द का इंतज़ार में बैठे हुए हैं...अब तो दिनों के बाद महीनों तक बीते हो गए...पर न मेरे मन ने कुछ कहा और नाहि उसने...मैं भी उसके एक शब्द के इंतज़ार में बैठा हूँ जिससे गुमनानी की इन गुमटियों का फासला दूर हो
Image
                                                                         इंतज़ार... रिश्तों की अहमियत को आज हम क्यों...भूलते जा रहे हैं...रिश्तों से दूरी बनाकर आज हम भी अकेले होते जा रहे हैं...और जिसका कारण है कि आज की नई जनरेशन लगातार डिप्रेशन का शिकार हो रही है...शायद ऐसा ही कुछ मेरे जीवन में भी हो रहा है...मैंने शायद शब्द का उपयोग इसलिए किया है...ऐसा हो भी सकता है या फिर कोई मन का बह्म हो सकता है...वाक़ई ज़िन्दगी के कुछ रिश्ते जिनसे कुछ अलग सा हि लगाव होता है...लेकिन जब वह रिश्ते बिखरने लगते हैं या फिर खामोशी के गुमनामी में खोने लगते हैं...तो इस परिस्थिति में अब आगे क्या?और जब रिश्तों के इस जोड़ में सामने वाला भी कुछ न कहे और आप भी न कुछ कह सको तो आपस के रिश्तों की दूरी आखिर कम होगी तो कैसे होगी...मैं सामने वाले से चाहता तो हूँ बहुत कुछ कुछ कहना पर किसी डर के कारण खामोश राह जाता हूँ...और इसी खामोशी के कारण आज हम कहीं दूर होते जा रहे हैं...to be continued...
Image
                                          ज़िन्दगी के कुछ आत्मिक सच... बात रिश्तों की हो ही रही है...तो आज बात जीवन में कुछ ऐसे रिश्तों की करते हैं...जो पता ही नहीं चलता कि कब जीवन में हवा के झौंकों की तरह आकर कुछ अलग ही मन में या दिल में जगह बना जाते हैं...कुछ तो मन के इतने करीब होते हैं कि  हमेशा खोने का डर बना रहता है...कई बार हालातों के कारण या फिर कुछ मन में उठे सवालों से रिश्तों में  दूरियां होने लगती हैं...और ऐसे हालातों में हम सिर्फ रिश्तों के वापिस जुड़ने का इंतज़ार करते रहते हैं...और तब तक रिश्तों की दूरियां इतनी ज्यादा हो चुकी होती हैं कि न तो समय और नाहि कोई मौसम उन दूरियों को कम कर सकता है...और इन हालातों की वजह भी सिर्फ एक दूसरे की  खामोशियाँ ही होती हैं...और हम सिर्फ रिश्तों के सुधरने का इंतज़ार में बैठे रहते हैं... लेकिन हम यह भूल जाते हैं जिस तरह से साल में कई बार मौसम बदलता रहता है...उसी तरह से रिश्तों में भी उतार चढ़ाव होता ही रहता है...हालात या परिस्थिति के कारण हम मुलाकातों के लिए समय नहीं निकाल पाते और मन में बैठे कुछ बहम के  कारण दूरियां बढ़ने लगती हैं
Image
                                                     कुछ नया अनुभव... हाल ही में हुए चंद्रयान मिशन 2 ने सबको आकर्षित किया है...और अब तो युवा एक अच्छे कैरियर के रूप में भी इस क्षेत्र को देख रहे हैं...जिस तरह से चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग से लेकर लैंडिंग तक की हर घटनाओं ने सबको अपनी ओर आकर्षित किया...और मुझे तो कुछ इस तरह से फीवर चढ़ा कि जब भी थोड़ा बहुत समय मिलता है तो इंटरनेट पर चंद्रयान से जुड़ी हर वह नई अपडेट और उससे जुड़े वीडियोस को टिल एन्ड तक देखता हूँ...वहीं नासा के सहयोग के बाद तो और भी इंटरेस्ट बढ़ गया है...और हर समय लैंडर से संपर्क होने की उम्मीद जितनी इसरो के वैज्ञानकों को है उतनी ही उम्मीद और एक्ससिटमेंट मुझे भी...और शायद हर भारतीय को भी...लेकिन जिस तरह से लैंडर का विक्रम से संपर्क न होने और  चंद्रमा में लूनर का एक दिन जो कि हमारे 14 दिन के बराबर होता है के आधे से अधिक समय तक निकलने के बाद उम्मीद भी कम होती जा रही है...लेकिन जिस तरह से नासा के सहयोग से एक्ससिटमेंट कुछ बढ़ा है और बचे हुए बाकि दिनों में जरूर कुछ न कुछ नया और अच्छा अपडेट सामने आएगा...जिसका हम सबको भरोसा
Image
                                                                                                                                              कुछ अनसुलझा सच... बचपन से लेकर कॉलेज लाइफ या फिर ऑफिस लाइफ हमेशा समय से ही जीवन का हर पड़ाव बदलता रहता है...और सभी के जीवन में समय के अनुसार बदलाव आते है...और इसी समय को लेकर आज मैंने एक बुक मिस्टीरियस वर्ल्ड जिसके कुछ पन्ने जिसमे एक अनोखे शक्स जॉन टाइटोर के बारे में लिखा था...जो अपने आप को 2036 के समय का बताता था...2 नवंबर 2002 को एक इंटरनेट फोरम में जिसमे एक नया मेंबर ऐड होता है...जो कि जॉन टाइटोर के नाम से ऐड होता है और एक पोस्ट करता है...पोस्ट कुछ इस तरह से थी जिसमे लिखा था कि वह 2036 से आया है और गया था साल 1976 में... IBM5100 कंप्यूटर मशीन लेने के लिए...लेकिन वापिस लौटने के समय सन 2000 में रुक गया हूँ...क्योंकि वह अपने बीते हुए पास्ट और y2k कंप्यूटर प्रॉब्लम को भी देखना चाहता था...जिसके बाद इंटरनेट पर इस मैसेज ने सबको हिला कर रख दिया था...जहां कुछ लोग इस तरह के मैसेज को फेक एकाउंट मानते थे...वहीं कुछ लोगों ने मैसेज भे
Image
                                                        पीली बस... लोग भले ही आज शहरों की चकाचौंध भरी ज़िन्दगी के पीछे आतुर हैं...और इस भाग दौड़  भरी ज़िन्दगी में हम गांव की परंपरा ,संस्कृति के गृह जीवन को कहीं न कहीं  भूलते जा रहे हैं...कौन कहता है कि गांव में कुछ नहीं है और अब शहरी जीवनशैली  की तरफ खिंचे चले जा रहे हैं...बचपन की मीठी यादें जो किसी शहर से नहीं बल्कि  गांव से ही जुड़ी हुई हैं...जो आज भी कहीं न कहीं हमारी यादों में बसी हुई  हैं...बचपन में परीक्षा होने पर जितनी खुशी परीक्षा खत्म होने की होती  थी...उससे ज्यादा खुशी गांव जाने की होती थी...और वह खुशी दो गुनी तब हो जाती  थी जब गांव जाने वाली बस आंखों के सामने दिख जाती थी...वहीं गांव जाने वाली बस  का पीला रंग आज भी आँखों में बसा हुआ है... जो कि हमारे क्षेत्र के नाम से  चलती थी..."बुंदेलखंड"                        गांव पहुंचते ही बस से नीचे उतरने पर ऐसा लगता था कि  अब उसे किसी से व्यक्त नहीं किया जा सकता...भले ही एक या दो दिन के लिए ही सही  पर उन दो दिनों के दौरान के हर पलों को हम जीना चाह