ज़िन्दगी के कुछ आत्मिक सच...


बात रिश्तों की हो ही रही है...तो आज बात जीवन में कुछ ऐसे रिश्तों की करते
हैं...जो पता ही नहीं चलता कि कब जीवन में हवा के झौंकों की तरह आकर कुछ अलग
ही मन में या दिल में जगह बना जाते हैं...कुछ तो मन के इतने करीब होते हैं कि 
हमेशा खोने का डर बना रहता है...कई बार हालातों के कारण या फिर कुछ मन में उठे
सवालों से रिश्तों में  दूरियां होने लगती हैं...और ऐसे हालातों में हम सिर्फ
रिश्तों के वापिस जुड़ने का इंतज़ार करते रहते हैं...और तब तक रिश्तों की
दूरियां इतनी ज्यादा हो चुकी होती हैं कि न तो समय और नाहि कोई मौसम उन
दूरियों को कम कर सकता है...और इन हालातों की वजह भी सिर्फ एक दूसरे की 
खामोशियाँ ही होती हैं...और हम सिर्फ रिश्तों के सुधरने का इंतज़ार में बैठे
रहते हैं... लेकिन हम यह भूल जाते हैं जिस तरह से साल में कई बार मौसम बदलता
रहता है...उसी तरह से रिश्तों में भी उतार चढ़ाव होता ही रहता है...हालात या
परिस्थिति के कारण हम मुलाकातों के लिए समय नहीं निकाल पाते और मन में बैठे
कुछ बहम के  कारण दूरियां बढ़ने लगती हैं...और हम इन दूरियों के कम होने का
इंतज़ार ही करते रहते हैं... पर ऐसे मामलों में कुछ लोग लकी होते हैं मेरी तरह
शायद आप भी होंगे ऐसी में आशा करता हूँ...मेरे भी जीवन में कुछ रिश्ते आये जो
दिल के बहुत करीब रहे या फिलहाल हैं भी...मेरी खामोशी के कारण कई बार गलत
समझकर दूरियां भी हुईं...पर मेरी इस खामोशी से टूट रहे रिश्ते को दिल से जुड़े
रिश्ते ने सामने से पूंछ कर हर बार दूरियों को कम कर दिया...पर अब एक महीने के
लंबे समय से हम इतने दूर हो गए हैं कि...मैं अब सामने से बात बोलने से डरता
हूँ ...और वह भी किसी कसक में शायद मुझसे बात न करे...मैं हर समय रिश्तों में
आई दूरी की चिंता में सिर्फ खामोश बैठे अपने आप को किसी तरह व्यस्त रखता
हूँ...और यही कामना करता हूँ कि...
 रिश्तों का विश्वास टूट ना जाये,हमरा साथ  कभी छूट ना जाये; किसी गलती करने
से पहले संभाल लेना मुझे; कहीं मेरी गलती से मेरा कोई अपना रूठ ना जाये।

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